सत्ताधारी पार्टी में प्रधानमंत्री पद के लिए हुए चुनाव में योशीहिदे सुगा ने 534 मतों में से 377 मत प्राप्त किए। उन्होंने लिबरल डेमोक्रेटिक पार्टी के अन्य उम्मीदवारों को इस चुनाव में हराया। जिन्हें संयुक्त रूप से 157 वोट मिले।
जापान के प्रधानमंत्री शिंजो आबे के इस्तीफे के बाद से नए प्रधानमंत्री की खोज अब पूरी होती दिख रही है। योशिहिदे सुगा के रूप में जापान को नया प्रधानमंत्री मिलना तय माना जा रहा है। उन्होंने सत्तारूढ़ लिबरल डेमोक्रेटिक पार्टी(एलडीपी) में हुए आंतरिक चुनाव में पार्टी के नए नेतृत्वकर्ता के रूप में जीत हासिल की है। इस चुनाव में पार्टी के 534 में से 377 मत पाकर अपनी दावेदारी मजबूत किया है।
पार्टी के ही अन्य दो उम्मीदवारों को संयुक्त रूप से केवल 157 मत प्राप्त हो सके है।
अपने इस जीत के बाद पत्रकारों से बात करते हुए उन्होंने कहा कि”मैं अपने आप को राष्ट्र और लोगों के लिए काम करने के लिए समर्पित करूंगा। उनकी शीर्ष प्राथमिकताएं कोरोनोवायरस से लड़ना और महामारी से घिरी अर्थव्यवस्था को सही दिशा में ले जाना होगा।”
जापान के प्रधानमंत्री शिंजो आबे जो कि जापान के सबसे लंबे समय तक प्रधानमंत्री भी रहे है पिछले कुछ सालों से लगातार खराब सेहत से परेशान है। पिछले दिनों उन्होंने इसी कारण इस्तीफा दे दिया था। नए प्रधानमंत्री मंत्री के चयन तक वह कार्यवाहक प्रधानमंत्री के रूप में कार्य करते रहेंगे।

कौन है योशिहिदे सुगा (Yoshihide Suga)
71 वर्षीय सुगा जो कि प्रधानमंत्री शिंजो आबे के करीबी माने जाते है ने,देश के के बड़े पदों जिनमे प्रमुख सरकारी सलाहकार, प्रमुख प्रवक्ता,और नीति प्रवर्तक जैसे पदों पर कार्य किया है। सुगा हाल ही में कैबिनेट सचिव भी बने है।
सुगा के पिता एक स्ट्रॉबेरी किसान है। सुगा उत्तरी जापान में ग्रामीण अकिता में बड़ा हुए। हाई स्कूल के बाद वे टोक्यो आ गए और 1987 में टोक्यो के बाहर योकोहामा में एक नगरपालिका विधानसभा सदस्य के रूप में अपना राजनैतिक सफर शुरू किया। 1996 में सुगा ने जापानी निचले सदन में अपना स्थान बनाया ,इन्हें शिंजो आबे का प्रबल समर्थक माना जाता है ये कई सालों से आबे के साथ रहे है।
2012 में जब सभी बाधाओं को पार कर आबे सत्ता में लौटने में कामयाब हुए, तो उन्होंने सुगा को मुख्य कैबिनेट सचिव के रूप में नियुक्त किया, जिसमें से कहा जाता है कि उन्होंने कई ऐतिहासिक नीतियों के माध्यम से आगे बढ़ाने में मदद की है, जिसमें विदेशी श्रमिकों पर प्रतिबंधों को ढीला करना शामिल है।